Saturday 30 July 2011

कर्नाटक: येदयुरप्पा ने दिया भरोसा, कल छोड़ देंगे पद?

नई दिल्ली 30 जुलाई (वेबवार्ता)। कर्नाटक में बीजेपी की टेंशन खत्म होती नज़र आ रही है। बेंगलुरु में आज सुबह बीजेपी के टॉप लीडर्स और येदयुरप्पा के बीच मुलाकात हुई। राजनाथ और अरुण जेटली ने उनसे मुलाकात की। खबर है कि बातचीत में येदयुरप्पा ने उन्हें रविवार तक पद छोड़ने का भरोसा दिलाया।

मालूम हो कि शुक्रवार को येदयुरप्पा ने बीजेपी नेतृत्व के सामने कुछ मांगें रखी थीं। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री पद के बदले उन्हें प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद दिया जाए। उनकी दूसरी मांग यह थी कि उनकी जगह मुख्यमंत्री उनकी करीबी मानी जाने वाली शोभा करंदलाजे को बनाया जाए।

येदयुरप्पा समर्थकों के बागी तेवर से पार्टी आलाकमान काफी परेशान है। पार्टी नेताओं को लगता है कि भले ही येदयुरप्पा ने इस्तीफे के लिए 31 जुलाई की तारीख तय कर दी हो , लेकिन इस बीच वह कोई न कोई ‘राजनीति’ खेल जाएंगे। यही वजह है कि पार्टी आलाकमान लगातार बेंगलुरु गए पर्यवेक्षकों के संपर्क में है। साथ ही पार्टी यह भी रणनीति तैयार कर रही है कि बाजी पलटने की स्थिति में वह क्या कदम उठाएगी।

पार्टी नेताओं के मुताबिक , येदयुरप्पा की वापसी पर पुनर्विचार करना तो मुमकिन नहीं है। पार्टी अभी यह आकलन कर रही है कि येदयुरप्पा समर्थक इस फैसले के खिलाफ किस हद तक जा सकते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु में पार्टी के 4 सीनियर नेता अरुण जेटली , राजनाथ सिंह , वैंकेया नायडू और धर्मेंद्र प्रधान पहले से ही मौजूद हैं और वे सभी पार्टी के आला नेताओं से लगातार संपर्क में हैं। ऐसे में पार्टी नेता अब ऐसी रणनीति बनाने में भी जुटे हैं कि अगर येदयुरप्पा समर्थक बगावत करने पर भी उतारू होते हैं तो उस स्थिति में किस तरह डैमेज कंट्रोल किया जा सके।

हाल के सालों में राजस्थान के बाद कर्नाटक ऐसा दूसरा राज्य हैं , जहां पार्टी को राज्य स्तरीय नेतृत्व के सामने अपनी बात मनवाने के लिए जूझना पड़ रहा है। बीजेपी के एक सीनियर नेता का कहना है कि पार्टी का ध्यान इस बात पर भी है कि कहीं बगावत के पीछे बागी नेता विधानसभा भंग कराने की रणनीति पर तो काम नहीं कर रहे।

Saturday 9 July 2011

भूमि कानून पर गठबंधन संबंधी उलझनें: राहुल


घंघोली अलीगढ़। भूमि अध्ग्रिहण विधेयक के जल्दी पारित होने में गठबंधन राजनीति की मजबूरियों का जिक्र करते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी ने शुक्रवार को वादा किया कि विधेयक जब भी पारित होगा, वह किसानों के हित में होगा। तृणमूल कांग्रेस की आपत्ति के मद्देनजर राहुल विधेयक के पारित होने में आ रही बाधओं के बारे में किसानों से बातचीत कर रहे थे। हालांकि उन्होंने तृणमूल या ममता बनर्जी का नाम नहीं लिया। 
राहुल ने कहा कि जब हमने कानून का मसौदा तैयार किया और गठबंधन सहयोगियों से उनकी राय मांगी तो उन्होंने कहा कि यह बंगाल के लिए अनुकूल नहीं है और इसमें बदलाव किया जाना चाहिए। यमुना एक्सप्रेसवे से लगे इस गांव में किसानों की शिकायतें सुनने के दौरान राहुल ने कहा, ‘‘केंद्र में हमारी सरकार गठबंधन की है। इसमें कई सहयोगी हैं। हमें उन सबसे विचार विमर्श करना होगा। हम अपने सहयोगियों से बातचीत कर रहे हैं। हम एक अच्छा कानून लाएंगे, हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि इसे लोकसभा के अगले सत्र में पारित कराया जा सके।‘‘ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद और सरकार दोनों इस कानून पर विचार विमर्श कर रही है। राहुल ने कहा, ‘‘नया कानून बनाने में समय लगता है और केंद्र इस दिशा में काम कर रहा है। अगर हम पांच मिनट में कानून बना दें तो यह सही नहीं होगा। हम ऐसा नया कानून बनाना चाहते हैं जो कम से कम अगले 20-30 साल तक प्रभावी रह सके।‘‘ उन्होंने कहा कि हमें भूमि अध्ग्रिहण का हल निकालना होगा और सिर्फ बातचीत से ही यह प्राप्त हो सकता है। लोगों और उनकी राय को नजरअंदाज करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें प्रक्रिया में शामिल किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि अगर गरीबों को प्रक्रिया में शामिल नहीं करते हैं तो यह उनके उत्पीड़न के समान है। यह पूछे जाने पर कि केंद्र ने ‘‘जबरन‘‘ भूमि अध्ग्रिहण करने से मायावती सरकार को क्यों नहीं रोका, कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आपको एक बात साफ समझनी होगी कि मैं उत्तर प्रदेश सरकार नहीं चला रहा। मैं इस बारे में किसी भी तरह से आपकी मदद नहीं कर सकता।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘आप बिजली नहीं मिलने की बात करते हैं, मैं आपको बिजली नहीं दे सकता। आप अपनी उत्तर प्रदेश सरकार से पूछिए। आप लखनऊ में अपनी सरकार से बात कीजिए, मुझसे नहीं।‘‘ राहुल ने कहा, ‘‘अगर आप मुझसे ऐसे सवाल पूछना चाहते हैं तो पहले आपको यहां कांग्रेस की सरकार चुननी होगी। उसके बाद आप ऐसे सवाल पूछिए।‘‘ उन्होंने कहा कि कांग्रेस केंद्र सरकार चला रही है और हम पूरा प्रयास करेंगे कि आपको एक ‘‘बढि़या नया भूमि कानून‘‘ मिले। मायावती सरकार को निशाना बनाते हुए राहुल ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र से मिलने वाली राशि का उचित इस्तेमाल नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यहां राज्य सरकार के इरादे नेक नहीं लगते। मौजूदा भूमि अध्ग्रिहण और इससे जुड़े विवाद पर भी राज्य सरकार के इरादों पर संदेह है। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार सिर्फ एक पक्ष, बिल्डरों को फायदा पहुंचाना चाहती है, किसानों या कृषियोग्य भूमि से जुड़े लोगों को नहीं।‘‘ राहुल ने कहा, ‘‘अगर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो यह आपकी सरकार होगी। यह कांग्रेस सरकार नहीं होगी बल्कि उत्तर प्रदेश के लोगों की सरकार होगी।‘‘
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