Monday 9 January 2012

तब तक न रुको, जब तक मंजिल न मिले.


Lalit Suman

    स्वामी विवेकानंद ने ये बातें कही थी, उनका कहना था यही दुनिया है. अगर तुम किसी का भला करो , तो लोग उसे कोई अहमियत नहीं देंगे, लेकिन ज्यों ही तुम उस कम को बंद कर दो, वे फ़ौरन तुम्हे बदमाश साबित करने में जुट जायेंगे. हर कम को तीन अवास्थावों से गुजरना पड़ता है
  • उपहास
  • विरोध
  • स्वीकृति
कोई शख्स कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलो. अगर भगवान की ऐसी ही मंशा होती, तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुंह, दिमाग आदि क्यों देता ?
पक्षपात ही सब अनर्थों का मूल है, यह न भूलना. यदि तुम किसी के प्रति दूसरों की तुलना में ज्यादा प्रेम प्रदर्शित करोगे, तो उससे कलह ही बढेगा. जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही सबसे बड़ा शिक्षक है. उठो, जागो और तक तक रूको नहीं, जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये. पवित्रता, धैर्य और कोशिश के द्वारा सारी बाधाएं दूर हो जाती है, इसमे कोई संदेह नहीं कि सभी महान कार्यों के पूरा होने में वक़्त तो लगता ही है.
विवेकानंद जी के १२ जनवरी के जन्मदिन पर इंडिया दर्पण परिवार की और से शत-शत नमन.

ललित 'सुमन' , प्रधान संपादक
(अध्यक्ष दिल्ली प्रदेश, आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज़ पेपर्स फेडरेशन)