केजरीवाल सरकार अगर वास्तव में आम आदमी की भला चाहती है तो उन्हें संगठित अपराध्, संगठित भ्रष्टाचार पर प्रहार करना होगा तभी दिल्ली का सामुहिक विकास सम्भव है, आम लोंगो के बीच उनकी सरकार की छवि लोकनायक के रूप में स्थापित होगा, अन्यथा देश की जनता पुन: नये देवदुत का इंतजार करेगी। यह देश व दिल्ली प्रदेश सिर्फ केजरीवाल का नहीं है, इसे सभी को मिलकर बेहतर बनाना होगा, यह किसी दबाव में नहीं, अंर्तआत्मा की आवाज पर होनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी को हम क्या देकर जाने वाले हैं।
भारत की राजधानी दिल्ली व केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली सिर्फ केजरीवाल का है, ऐसा ही लगता है। 15 वर्षों से लगातार प्रदेश पर शासन करने वाली कांग्रेस व पूर्व के वर्षो में पांच वर्ष शासन कर चुकी भाजपा, लगातार एक माह भी नहीं गुजारी, आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल की सरकार से पुछ रही है कि दिल्ली में पानी की समस्या का क्या हुआ, बिजली व्यवस्था का क्या हुआ, भ्रष्टाचार निदान का क्या हुआ, ला एण्ड आर्डर का क्या हुआ, काश्मीर मुददे पर क्या सोच है, नक्सल मुदे पर क्या राय है, देश की आर्थिक नीति पर आम आदमी पार्टी की क्या नजरिया है, बड़े मकान, छोटे मकान, सुरक्षा लेंगे-नहीं लेंगे आदि-आदि अनेको सवाल किया जा रहा है।
आप अगर एक मकान से, दुसरे मकान में शिफ्ट होते हैं तो उसे व्यवस्थित करने में छ: महिना लग जाता, फिर भी कई समान नहीं मिलते। आम आदमी पार्टी में सिर्फ विन्नी एक मात्र नेता है जो निगम पार्षद रह चुके हैं और सारा देश यह देख रहा है कि ''विन्नी'' जिददी बच्चे की तरह किस प्रकार अड़े है कि हमें भी खेलने दो, नहीं तो मैदान खोद डालूंगा। भारत की जनता इस बात का अंदाजा सरलता से लगा सकती है कि आम आदमी पार्टी का मैदान खोदकर भ्रष्टाचारनिदान, विकास के कार्य को अवरुद्ध रखा जाय तो इससे किसका भला होने वाला है।
दिल्ली प्रांत या यह देश अकेला अरविन्द केजरीवाल का नही है, एक अरब से अधिक की आबादी वाले इस मुल्क में से अरविन्द केजरीवाल भी एक नागरिक हैं, लेकिन अरविन्द केजरीवाल की नियत है कि यह देश भ्रष्टाचार मुक्त हो, और नीति यह है देश पुन: सोने की चिडि़या बने, दुध् की नदियां बहे।
कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, राजद, जदयू, सी.पी.आर्इ.एम, अन्ना द्रमुक, एनसीपी, त्रिनमूल आदि अनेकों पार्टी की तरह ''आम आदमी पार्टी'' भी एक है। देश के कोने-कोने में बनी क्षेत्रीय पार्टी या अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाले क्या इस देश की जनता को यह बताएंगे कि किस पार्टी ने एक माह के अन्दर ''आम आदमी पार्टी'' की तरह अपने घोषणा पत्रों के मुख्य मुद्वों को इस प्रकार अमली जामा पहनाने का प्रयास किया है।
जो काम करता है गलती भी, भूल भी उसी से होती है, गलती की सजा व भूल का सुधार कर आगे बेहतरीन कार्य किये जा सकतें हैं लेकिन जो काम ही न करे, उसे क्या कहा जाएगा। वह देश का, समाज का, आम व्यकित का शुभचिंतक है या दुश्मन।
कांग्रेस पार्टी इस देश पर सबसे अधिक शासन किया है। कांग्रेस पार्टी ने इस देश में अनेकों विकास कार्य किये है, भारत आज अगर विकासशील देश से आगे विकसित राष्ट्र की ओर कदम बढ़ा रहा है तो इसका अर्थ है, कांग्रेस ने राष्ट्रहीत, समाजहीत व आम जन के हीत में कार्य किया है, यह सत्य है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया, जमकर राष्ट्र को लूटा, अपनी सेहत बनाया, इन्हें दंडित किया जाना चाहिए। लेकिन यह भी सत्य है कि सूचना का अधिकार, खाध सुरक्षा अधिकार, भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे मुद्वों के अतिरिक्त भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल विधेयक पास कराने में समप्रग सरकार कामयाब हुई है। हो सकता है, कुछ मुद्वों में और सुधार की आवश्यकता हो, इसे दुर किया जाना चाहिए, यह समप्रग सरकार की आम जनता के प्रति जिम्मेदारी है।
समप्रग सरकार बनने से पूर्व विपक्ष भी सत्ता सुख भोगा है, अटल बिहारी वाजपेयी, एच.डी. देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, वी.पी. सिंह, चन्द्रशेखर आदि भी केन्द्र की सरकार में प्रधानमंत्री रह चुके हैं, क्या उस वक्त भारत भ्रष्टाचार मुक्त था, देश में किसान ने आत्महत्या नहीं किया, नारी उत्पीड़न के मामले नहीं थे, बेरोजगारी नहीं था, सभी ने अपने स्तर से राष्ट्र निर्माण का प्रयास किया, उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए समप्रग सरकार भी लगातार राष्ट्र उत्थान में लगी है। देश के आवाम को लगेगा कि समप्रग सरकार अपने दायित्व निर्वाह में नाकामयाब रही है तो जनता उसे सत्ता से विमुख कर देगी लेकिन नरेन्द्र मोदी भाजपा के पी.एम. इन वेटिंग करोड़-करोड़ रूपये सभाओं पर खर्च कर सिर्फ अपनी छवि सुधरने व भारत सरकार की छवि देश व विदेश में खराब कर रहे हैं, यह राष्ट्रहीत में नहीं है।
नरेन्द्र मोदी को देश को यह बताना चाहिए कि मंहगाइ दर इस नीति से कम किया जा सकता है, भ्रष्टाचार को ऐसे नियंत्रित किया जा सकता है, बेरोजगारी कम करने के लिए इस प्रकार रोजगार के साधन उत्पन्न किये जा सकते हैं, देश को विकसित करने के लिए यह कदम कारगर हो सकते हैं, कृषक की भलाइ के लिये उनका विजेन यह है, न्याय व्यवस्था इस प्रकार सुदृढ़ हो सकती है, भारत की संस्कृति व सभ्यता को इस प्रकार अक्षुण्य रखा जा सकता है, लेकिन मोदी को तो सिर्फ गुजरात, व अपनी छवि बेहतर नजर आ रही।
सवाल यह उठता है कि हाइटेक मंच बनाने पर जो राष्ट्र का धन खर्च हो रहा, क्या वह कालाधन है, भाजपा का राजनीतिक फंड है, या देश को अस्थिर करने वालों तत्वों से एकत्रा किया जा रहा है, वह कौन लोग हैं और केन्द्र में सरकार बनने पर वह इसकी क्या कीमत वसूल करेगा, मोदी उसके साथ क्या समझौता कर रखें हैं।
देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बनें, राहुल गांधी बनें, केजरीवाल बनें, प्रियंका गांधी बनें, ममता बनर्जी बनें, मनोहर पारिक बने हमें क्या, अंतर पड़ता है। 18 घंटे काम, मुझे आज भी करना पड़ता है उस वक्त भी करना पड़ेगा। यह सत्य है कि भारत अगर भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनेगा, मंहगाइ पर नियंत्रण हो जायेगा तो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यकित भी राहत की सांस लेंगा।
बात शुरू हुर्इ थी केजरीवाल से और पहुंच गइ राष्ट्र पर । केजरीवाल को काम करने का मौका मिलनी चाहिए और केजरीवाल को भी एक निर्भीक, निष्पक्ष राजनेता की तरह एक-एक कर समस्याओं के निदान की दिशा में कदम-दर-कदम बढ़ाना चाहिए। केजरीवाल को सर्वप्रथम दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त करने की दिशा में, योजनावद्व तरीके से प्रयास करना चाहिए था, लेकिन दिशा भटकता नजर आ रहा है।
व्यकितगत अपराध् व संगठित अपराध् व भ्रष्टाचार में अंतर है। केजरीवाल सरकार को इसे समझना होगा। अपराध्-अपराध् है, भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार है लेकिन दोनों में अंतर है। व्यक्तिगत अपराध् और व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से एक व्यक्ति या परिवार प्रभावित होता है लेकिन संगठित भ्रष्टाचार व संगठित अपराध् से समाज व राष्ट्र प्रभावित होता है। अगर विषैले पेड़ को जड़ समेत उखाड़ दिया जाय तो व्यक्ति, समाज व राष्ट्र का स्वत: भला हो जाएगा।
केजरीवाल सरकार अगर वास्तव में आम आदमी की भला चाहती है तो उन्हें संगठित अपराध्, संगठित भ्रष्टाचार पर प्रहार करना होगा तभी दिल्ली का सामुहिक विकास सम्भव है, आम लोंगो के बीच उनकी सरकार की छवि लोकनायक के रूप में स्थापित होगा, अन्यथा देश की जनता पुन: नये देवदुत का इंतजार करेगी। यह देश व दिल्ली प्रदेश सिर्फ केजरीवाल का नहीं है, इसे सभी को मिलकर बेहतर बनाना होगा, यह किसी दबाव में नहीं, अंर्तआत्मा की आवाज पर होनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी को हम क्या देकर जाने वाले हैं।
ललित ''सुमन'', प्रधान संपादक
अध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश
आल इंडिया स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूज़ पेपर्स
फेडरेसन ( रजि.)
भारत की राजधानी दिल्ली व केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली सिर्फ केजरीवाल का है, ऐसा ही लगता है। 15 वर्षों से लगातार प्रदेश पर शासन करने वाली कांग्रेस व पूर्व के वर्षो में पांच वर्ष शासन कर चुकी भाजपा, लगातार एक माह भी नहीं गुजारी, आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल की सरकार से पुछ रही है कि दिल्ली में पानी की समस्या का क्या हुआ, बिजली व्यवस्था का क्या हुआ, भ्रष्टाचार निदान का क्या हुआ, ला एण्ड आर्डर का क्या हुआ, काश्मीर मुददे पर क्या सोच है, नक्सल मुदे पर क्या राय है, देश की आर्थिक नीति पर आम आदमी पार्टी की क्या नजरिया है, बड़े मकान, छोटे मकान, सुरक्षा लेंगे-नहीं लेंगे आदि-आदि अनेको सवाल किया जा रहा है।
आप अगर एक मकान से, दुसरे मकान में शिफ्ट होते हैं तो उसे व्यवस्थित करने में छ: महिना लग जाता, फिर भी कई समान नहीं मिलते। आम आदमी पार्टी में सिर्फ विन्नी एक मात्र नेता है जो निगम पार्षद रह चुके हैं और सारा देश यह देख रहा है कि ''विन्नी'' जिददी बच्चे की तरह किस प्रकार अड़े है कि हमें भी खेलने दो, नहीं तो मैदान खोद डालूंगा। भारत की जनता इस बात का अंदाजा सरलता से लगा सकती है कि आम आदमी पार्टी का मैदान खोदकर भ्रष्टाचारनिदान, विकास के कार्य को अवरुद्ध रखा जाय तो इससे किसका भला होने वाला है।
दिल्ली प्रांत या यह देश अकेला अरविन्द केजरीवाल का नही है, एक अरब से अधिक की आबादी वाले इस मुल्क में से अरविन्द केजरीवाल भी एक नागरिक हैं, लेकिन अरविन्द केजरीवाल की नियत है कि यह देश भ्रष्टाचार मुक्त हो, और नीति यह है देश पुन: सोने की चिडि़या बने, दुध् की नदियां बहे।
कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, राजद, जदयू, सी.पी.आर्इ.एम, अन्ना द्रमुक, एनसीपी, त्रिनमूल आदि अनेकों पार्टी की तरह ''आम आदमी पार्टी'' भी एक है। देश के कोने-कोने में बनी क्षेत्रीय पार्टी या अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाले क्या इस देश की जनता को यह बताएंगे कि किस पार्टी ने एक माह के अन्दर ''आम आदमी पार्टी'' की तरह अपने घोषणा पत्रों के मुख्य मुद्वों को इस प्रकार अमली जामा पहनाने का प्रयास किया है।
जो काम करता है गलती भी, भूल भी उसी से होती है, गलती की सजा व भूल का सुधार कर आगे बेहतरीन कार्य किये जा सकतें हैं लेकिन जो काम ही न करे, उसे क्या कहा जाएगा। वह देश का, समाज का, आम व्यकित का शुभचिंतक है या दुश्मन।
कांग्रेस पार्टी इस देश पर सबसे अधिक शासन किया है। कांग्रेस पार्टी ने इस देश में अनेकों विकास कार्य किये है, भारत आज अगर विकासशील देश से आगे विकसित राष्ट्र की ओर कदम बढ़ा रहा है तो इसका अर्थ है, कांग्रेस ने राष्ट्रहीत, समाजहीत व आम जन के हीत में कार्य किया है, यह सत्य है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया, जमकर राष्ट्र को लूटा, अपनी सेहत बनाया, इन्हें दंडित किया जाना चाहिए। लेकिन यह भी सत्य है कि सूचना का अधिकार, खाध सुरक्षा अधिकार, भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे मुद्वों के अतिरिक्त भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल विधेयक पास कराने में समप्रग सरकार कामयाब हुई है। हो सकता है, कुछ मुद्वों में और सुधार की आवश्यकता हो, इसे दुर किया जाना चाहिए, यह समप्रग सरकार की आम जनता के प्रति जिम्मेदारी है।
समप्रग सरकार बनने से पूर्व विपक्ष भी सत्ता सुख भोगा है, अटल बिहारी वाजपेयी, एच.डी. देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, वी.पी. सिंह, चन्द्रशेखर आदि भी केन्द्र की सरकार में प्रधानमंत्री रह चुके हैं, क्या उस वक्त भारत भ्रष्टाचार मुक्त था, देश में किसान ने आत्महत्या नहीं किया, नारी उत्पीड़न के मामले नहीं थे, बेरोजगारी नहीं था, सभी ने अपने स्तर से राष्ट्र निर्माण का प्रयास किया, उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए समप्रग सरकार भी लगातार राष्ट्र उत्थान में लगी है। देश के आवाम को लगेगा कि समप्रग सरकार अपने दायित्व निर्वाह में नाकामयाब रही है तो जनता उसे सत्ता से विमुख कर देगी लेकिन नरेन्द्र मोदी भाजपा के पी.एम. इन वेटिंग करोड़-करोड़ रूपये सभाओं पर खर्च कर सिर्फ अपनी छवि सुधरने व भारत सरकार की छवि देश व विदेश में खराब कर रहे हैं, यह राष्ट्रहीत में नहीं है।
नरेन्द्र मोदी को देश को यह बताना चाहिए कि मंहगाइ दर इस नीति से कम किया जा सकता है, भ्रष्टाचार को ऐसे नियंत्रित किया जा सकता है, बेरोजगारी कम करने के लिए इस प्रकार रोजगार के साधन उत्पन्न किये जा सकते हैं, देश को विकसित करने के लिए यह कदम कारगर हो सकते हैं, कृषक की भलाइ के लिये उनका विजेन यह है, न्याय व्यवस्था इस प्रकार सुदृढ़ हो सकती है, भारत की संस्कृति व सभ्यता को इस प्रकार अक्षुण्य रखा जा सकता है, लेकिन मोदी को तो सिर्फ गुजरात, व अपनी छवि बेहतर नजर आ रही।
सवाल यह उठता है कि हाइटेक मंच बनाने पर जो राष्ट्र का धन खर्च हो रहा, क्या वह कालाधन है, भाजपा का राजनीतिक फंड है, या देश को अस्थिर करने वालों तत्वों से एकत्रा किया जा रहा है, वह कौन लोग हैं और केन्द्र में सरकार बनने पर वह इसकी क्या कीमत वसूल करेगा, मोदी उसके साथ क्या समझौता कर रखें हैं।
देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बनें, राहुल गांधी बनें, केजरीवाल बनें, प्रियंका गांधी बनें, ममता बनर्जी बनें, मनोहर पारिक बने हमें क्या, अंतर पड़ता है। 18 घंटे काम, मुझे आज भी करना पड़ता है उस वक्त भी करना पड़ेगा। यह सत्य है कि भारत अगर भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनेगा, मंहगाइ पर नियंत्रण हो जायेगा तो समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यकित भी राहत की सांस लेंगा।
बात शुरू हुर्इ थी केजरीवाल से और पहुंच गइ राष्ट्र पर । केजरीवाल को काम करने का मौका मिलनी चाहिए और केजरीवाल को भी एक निर्भीक, निष्पक्ष राजनेता की तरह एक-एक कर समस्याओं के निदान की दिशा में कदम-दर-कदम बढ़ाना चाहिए। केजरीवाल को सर्वप्रथम दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त करने की दिशा में, योजनावद्व तरीके से प्रयास करना चाहिए था, लेकिन दिशा भटकता नजर आ रहा है।
व्यकितगत अपराध् व संगठित अपराध् व भ्रष्टाचार में अंतर है। केजरीवाल सरकार को इसे समझना होगा। अपराध्-अपराध् है, भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार है लेकिन दोनों में अंतर है। व्यक्तिगत अपराध् और व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से एक व्यक्ति या परिवार प्रभावित होता है लेकिन संगठित भ्रष्टाचार व संगठित अपराध् से समाज व राष्ट्र प्रभावित होता है। अगर विषैले पेड़ को जड़ समेत उखाड़ दिया जाय तो व्यक्ति, समाज व राष्ट्र का स्वत: भला हो जाएगा।
केजरीवाल सरकार अगर वास्तव में आम आदमी की भला चाहती है तो उन्हें संगठित अपराध्, संगठित भ्रष्टाचार पर प्रहार करना होगा तभी दिल्ली का सामुहिक विकास सम्भव है, आम लोंगो के बीच उनकी सरकार की छवि लोकनायक के रूप में स्थापित होगा, अन्यथा देश की जनता पुन: नये देवदुत का इंतजार करेगी। यह देश व दिल्ली प्रदेश सिर्फ केजरीवाल का नहीं है, इसे सभी को मिलकर बेहतर बनाना होगा, यह किसी दबाव में नहीं, अंर्तआत्मा की आवाज पर होनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी को हम क्या देकर जाने वाले हैं।
ललित ''सुमन'', प्रधान संपादक
अध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश
आल इंडिया स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूज़ पेपर्स
फेडरेसन ( रजि.)