Saturday 6 September 2014

कालाधन

रोटी -कपड़ा और माकन के 
चक्रव्यूह में फंसकर सारा जीवन ख़त्म किया 
एक पल भी यह न सोचा
मेरे मातृभूमि का क्या हुआ। 

देश की खातिर जो शहीद हुए 
रोटी- कपड़ा और माकन के 
चक्रव्यूह में उलझ कर 

उनको भी हम भूल गए।

क्रंदन सुनो, भारत माता की
रो- रो कर ,वह पूछ रही
सत्ता -शासन मिलते ही तुम
भारतवासी को क्यों भूल गये
देश को लूटने वाला ,आज भी
आजाद कैसे घूम रहे।

कालाधन सिर्फ धन नहीं है
जो सिर्फ वापिस आएगा
जिसने भी भारत के वैभव को लूटा
उसको तुम फांसी दो
हंस सके हर भारतवासी
ऐसी तुम आजादी दो .......
भाई -भाई को प्रेम करें

दौलत की खातिर न ,हत्या हो
ऐसा वैभवशाली,भारत बनाओ
जहाँ साथ - साथ सब
गीता -कुरान -बाइबिल -ग्रन्थ पढता हो
ऐसा तुम भारत निर्माण करो ,जहाँ एक साथ सब
गीता -कुरान -बाइबिल -ग्रन्थ पढता हो ......

                                                  ललित "सुमन "
                                       चीफ एडिटर "दैनिक इंडिया दर्पण "

Thursday 4 September 2014

क्या दिया  है इस देश को 


जन्म लिया है जिस  भूमि पर
उस मातृ भूमि का ,सम्मान करो 
अपने अंदर की इंसानियत जगाकर 
राष्ट्र का निर्माण करो 

क्या पाया है इस देश से 
इस की चिंता  मत  किया  करो 
क्या दिया  है इस देश को  
इसका सच्चे दिल से मनन करो 

धन्य  है  ये  भारत  भूमि   
जहा  तुमने जन्म लिया
अपने लिए अबतक जिए 
फिर भी भारतीय होने का सम्मान मिला 
राम -कृष्ण ,गुरुगाबिँद ,बुद्ध,महावीर 
इसी धरती पर अवतरित हुए 
गंगा - यमुना -सरस्वती  और  कबेरी 
इस पवन धरती पर कदम धरे   

एक अरब से अधिक आबादी जिसकी 
उस भारत माता को फिर  क्यों चिंता   हो 
दुश्मन को सबक सिखाने  के  लिए
एक सपूत ही काफी है 
तुमको यह तय करना है दोस्तों 
देश की खातिर कैसे लड़ना है ,मातृ भूमि की 
रक्षा के लिए ,तुम्हे कैसे मारना है 
जो आया है ,वह एक दिन जायेगा 
देश की खातिर जो लड़ेगा 
वही भारत माता का 
सच्चा सपूत कहलायेगा।

                                          ललित "सुमन"

                                                          चीफ एडिटर "दैनिक इंडिया दर्पण "
जीवन का उद्देश्य

ढूंढ रहा हूँ अपने जीवन का उद्देश्य
जिस किसी से भी मिलता हूँ 
वह एक नया मार्ग बतलाता है 
उसे यह नहीं पता ,मंजिल कैसे पाया जाता है ,

अब तक सभी ने ,दौलत का महत्व बताया ,
दौलत के बल पर,शोहरत का रहस्य बताया ,
जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है 
इस पर उनकी ख़ामोशी ,साफ बताता है 
नहीं पता इन्हे जीवन का क्या है उद्देश्य। 

अनगिनत लोगों से पुछ चुका हूँ 
जीवन का क्या हो उद्देश्य
कोई कहता ,परिवार ,कोई कहता प्रदेश 
कोई बतलाता राष्ट्र ,तो कोई बतलाता विदेश 

अकस्मात मेरे मन में ,यह ख्याल आया 
मैने कलम उठाया और लिख डाला 
यह सन्देश ,रोटी कपड़ा और माकन तो 
मिल जायेगा ,अपने कर्मो से 

शिक्षा -स्वास्थ-न्याय मिले सभी को 
यही हो तुम्हारे जीवन का उद्देश 
यही हो तुम्हारे जीवन का उद्देश 

                                                                                       ललित "सुमन "
                                            चीफ एडिटर "दैनिक इंडिया दर्पण "